अग्निवीर योजना Review के बाद होंगे बड़े बदलाव लेकिन 4 साल की समय अवधि को नहीं बदला जायेगा बड़ी अपडेट, आर्टिकल के साथ जुड़े रहिये और पढ़िए पूरी खबर अग्निवीर यौजना को ले कर.
अग्निपथ योजना को लेकर कई तरह की चर्चाएं जारी हैं. एक चर्चा ये भी चली कि अग्निवीर के रिटेंशन परसेंट को 25% से बढ़ाया जाएगा यानी 4 साल की नौकरी के बाद जिन 1 चौथाई अग्निवीर को आगे सेना में रखा जाना था. उन्हें बढ़ाकर आधा या तीन चौथाई करने की बात चल रही है. सेना भी अग्निपथ योजना को लेकर एक इंटरनल सर्वे कर रही है.
इस बीच एक खबर आई है कि इस इंटरनल सर्वे के लिए कुछ पॉइंट्स निर्धारित किए जा रहे हैं. इनमें अग्निवीर की सेवा का समय तय करना, मृत्यु या विकलांगता की स्थिति में वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है. हालांकि अग्निवीर के 4 साल के कार्यकाल को बढ़ाने पर कोई चर्चा नहीं होने की बात भी कही गई है. ट्रिब्यून इंडिया के अजय बैनर्जी की रिपोर्ट के मुताबिक अग्निपथ योजना की बहुप्रतीक्षित समीक्षा में चार अहम बिंदु होंगे.
इन बिंदुओं में मौत या विकलांगता की स्थिति में फाइनेंशियल सपोर्ट देना सबसे बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा सेवा का समय तय करना भी चर्चा का बिंदु होगा, जबकि 4 साल के समय के बाद सेवा में बने रहने वालों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा. साथ ही सेवा में नहीं बने रहने वालों के लिए नौकरी की व्यवस्था करने के लिए एक विशेष एजेंसी की नियुक्ति करना भी समीक्षा में शामिल है.
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रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि इन बिंदुओं को सैन्य मामलों के विभाग के द्वारा रक्षा मंत्रालय के सामने रखा जाएगा. हालांकि भर्ती किए गए लोगों के चार साल के कार्यकाल को बढ़ाने पर कोई कदम नहीं उठाया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि कार्यकाल बढ़ाना प्रतिकूल नतीजे दे सकता है. इसका मतलब यह होगा कि भर्ती किए गए लोगों के लिए अनिश्चितता बढ़ जाएगी.
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बताया गया कि तीनों सेनाएं चाहती हैं कि 25% सैनिकों को रखने की सीमा कई चरणों में बढ़ाई जाए. पहले से बढ़ाकर 50% किया जाए बाद में इसे और बढ़ाया जाएगा. ड्यूटी के दौरान मृत्यु की स्थिति में अग्निवीर के परिवार को जीवन भर निर्वाह भत्ता दिया जाना प्रस्ताव का हिस्सा है. नए प्रस्ताव में इस बात का भी जिक्र है कि ड्यूटी के दौरान विकलांग होने वाले अग्निवीर को नियमित सैनिकों की तरह पूरी तरह फायदे का हकदार बनाया जाएगा.
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जैसे कि नियमित सैनिकों को जिन्हें जीवन भर मुक्त चिकित्सा सुविधा और विकलांगता भत्ता मिलता है. इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस की अमृता नायक दत्ता की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि सेना को अपने इंटरनल सर्वे के जरिए अग्निपथ स्कीम को लेकर जो फीडबैक मिला है. उसमें यह निकल कर आया कि अग्निवीर के बीच सामंजस्य और सौहार्द की कमी है.
एक तरह का कंपटीशन है जिससे वह एक दूसरे का सहयोग नहीं करते आपस में घुलती मिलते नहीं. रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है ऐसे गुण सशस्त्र बलों में वांछनीय नहीं है. रिटेंशन को बढ़ाने का असली मकसद यही है जब इस स्कीम की चर्चा शुरू हुई थी. तब भी इस तरह के तर्क दिए गए थे.
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कि अगर मात्र 25% को ही की जगह मिलेगी तो कैडेट्स आपस में एक दूसरे को सहयोग नहीं करेंगे. सेना में अग्निपथ स्कीम की घोषणा से पहले सैनिकों के लिए प्रशिक्षण अवधि 37 से 42 सप्ताह के बीच थी. सेना को मिले फीडबैक के मुताबिक अग्निवीर के लिए इस ट्रेनिंग पीरियड को घटाकर 24 हफ्ते करने से उनकी ट्रेनिंग पर सही असर नहीं पड़ रहा है.
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आपको बता दें कि कोविड-19 महामारी की वजह से 2 साल तक सैन्य भर्तियां रोक दी गई थी. जून 2022 में अग्निपथ योजना की घोषणा हुई थी जिसका उद्देश्य 4 साल के लिए सशस्त्र बलों में सैनिकों वायु सैनिकों और नौ सैनिकों की भर्ती करना था लेकिन परमानेंट नहीं. 4 साल के लिए 4 साल पूरे हो जाने के बाद उनमें से 25% को रखा जाएगा.
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बीते दिनों एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू महासचिव और प्रवक्ता केसी त्यागी ने अग्निवीर पर विचार किए जाने की बात कही थी. केसी त्यागी ने इस योजना का जिक्र करते हुए कहा था अग्निवीर योजना को लेकर भारी विरोध हुआ था और चुनाव में भी इसका असर देखने को मिला है. इस पर दोबारा विचार करने की जरूरत है.
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इसके बाद चिराग पासवान ने भी अग्निपथ योजना का रिव्यू किए जाने की बात कही थी. अग्निपथ स्कीम में जिन संभावित बदलावों की चर्चा इस वक्त चल रही है उनमें से कितनों पर मोहर लगेगी.